किसने
किसको कंकर मारा किसकी गगरी फूट गई
तेरा
ग़म क्या चीज़ है जानां, तम्बाकू तक छूट गई
उम्रदराज़ी
की ख़ातिर कुछ, सेहत हासिल करने को
छोड़ा
अपना सब कुछ हमने, यार तबीयत
टूट गई
इस
बार ग़रीबी को देखा था, दौड़ लगाते भरती में
वो
आई नंगे पांव थी लेकिन पहन के फौजी बूट गई
दिन
निकला पीला-पीला कुछ मरा-मरा-सा बीत गया
फिर
केश बिखेरे रात आई और मेरी छाती कूट गई
***
आगे निकलो
साथी तुमको तेज़क़दम चलना है
हम देखेंगे
रस्ते को भी, हमको कम चलना है
तुम तो लौट
पड़ोगे, जब दिल चाहेगा रस्ते से
हमने दम
खेंचा है, हमको आखिर-दम चलना है
ये अदबी
संसार नहीं है,गली है कोई गाज़ा की
गोली चलनी
है सीने पे, घर पे बम चलना है
रोलां के संकेत
यहां, ये संसार बाद्रीलार का
होना ज़रूरी
है नहीं, होने का भरम चलना है
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